जाल

सुबह-शाम बेहतर जिंदगी बनाने को निकले
बेहतरीन के फ़ेर में,जिंदगी तमाम कर निकले।
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बेख़बर से,फंसते गए माया के इस महा जाल में
और हर तरफ अवसाद में डूबे लोग दिखे।
अपर्णा शर्मा
August 20th,24

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