मैं बहता नीर
कहते फकीर
एक दम फक्कड़
जानू न लकीर।
रोंद दिए रास्ते
तोड़े झूठे वास्ते
नए मार्ग पर
चले हँसते हँसाते।
https://ae-pal.com/
लकीर पड़ी रही
ठोकरे खा रही
क्षीर सी जिंदगी
लुत्फ उठा रही।
जो लकीर से बंधे
हाल फकीर से कसे
अक्ल पर पत्थर डाल
वहीं पत्थर घिस रहे।
https://ae-pal.com/
उठो! अपने को पहचानो
अपनी शक्ति को आजमालो
अंतरंगी सी इन लकीरों में
सुनहरी तकदीर सजालो।
अपर्णा शर्मा
Jan.5th,24

Bahetareen tukbandi 👌🏻👌🏻👌🏻
LikeLiked by 1 person
Thanks
LikeLike
अतिसुंदर
LikeLiked by 1 person
Thank you
LikeLike