ओस



ना जाने कौन, रात भर आँसू बहाता रहा।
चांदनी रात में, किसे याद कर, जागता रहा।

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छिप गया, सूरज की पहली किरण के साथ ही।
भिगो गया, सम्पूर्ण धरा को सुना के कथा प्रीत की।

4 thoughts on “ओस

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  1. ओस की प्रीत की कथा दिल को छू गई और भावनाओं से पूरा मन मन्दिर भीगो कर पवित्र कर दिया।
    T

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