हिसाब

जिंदगी खर्च करके,उसके हाथ बस उमर रह गई
क्या खोया,क्या पाया, दिल में यहीं कसक रह गई।
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किश्तों सा खर्च करा था,जिंदगी के हर लम्हे को 
उमर का पुलिंदा थमाकर,जिंदगी हिसाब कर गई।
अपर्णा शर्मा
Dec.30th,25

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