हाथ नेह के

ये हाथ बढ़े हैं अनुराग से भरे हृदय के
ये हाथ बढ़े हैं स्नेह में डूबे नयनों के
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ये हाथ बढ़े हैं मेरे विश्वास से भरे नेह के
थाम  भी लो,न मुस्कराओ अब तुम दूर से।
अपर्णा शर्मा
July22nd,25

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