बोझ

हल्के ,फुल्के, भरे गुब्बारे से
जो जीवन रंगते, मधुर सपने।
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जाने कैसे, काँधे पे आ बैठे
बोझ सरीखा,अब खींच रहे।
अपर्णा शर्मा
July8th,25

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