जिंदगी का सफर

जीवन का सफर है ये अकेले का सफर
यहाँ सदा के लिए न आता कोई नज़र

जब तलक चाहे किसी को खूब मानिए
जब तलक चाहे किसी के काम आइए
पर किसी को कभी न कीजिए मजबूर।

जीवन का सफर है ये अकेले का सफर
यहाँ सदा के लिए न आता कोई नज़र ।
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जब कामनाएँ किसी की आप से बढ़ने लगे
परम नाता उन्हीं से, आप मानने लगे
मानिए शुरु होने को है आपका सफर।

जीवन का सफर है ये अकेले का सफर
यहाँ सदा के लिए न आता कोई नज़र।
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शिकायतें तो ता- उम्र लगी ही रही
कभी महफ़िलों के शोर में दबी रही
कभी वीरानगी में करती रही सफर

जीवन का सफर है ये अकेले का सफर
यहाँ सदा के लिए न आता कोई नज़र।
अपर्णा शर्मा
May16th,25

2 thoughts on “जिंदगी का सफर

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