आईना*

आईना आज मुझ से शिकायत करने लगा
तुझमें अब कुछ पहले सा दिखता नहीं
कैसे अब मैं तुझको खूबसूरत दिखाऊँ
कि नक्श में अब पुराना दिखता नहीं
https://ae-pal.com/
वो मासूमियत जो बचपन की सौगात रही
अब आसपास मुझे दिखती ही नहीं
सयानी सी आईने में सजी तेरी ये तस्वीर
जिसमें सुकूं आजकल उभरता ही नहीं।
https://ae-pal.com/
मन में सजी तस्वीर को संवारती रहा कर
दृढ़ निश्चयी को दुनिया बदलती नहीं
मुझको साफ़ करने से कुछ न होगा
फराखदिल फितरत को बदलती ही नहीं।
अपर्णा शर्मा
May2nd,25

*फराखदिल-उदार

2 thoughts on “आईना*

Add yours

Leave a reply to Aparna Sharma Cancel reply

Blog at WordPress.com.

Up ↑