विरह

मैं भी अब मैं कहाँ रहा
तुम हो गया हूँ।
तुम्हारे साथ मैं भी
कहीं खो गया हूँ।

जहाँ तुम्हें देखता
फिर रहा
वहाँ अपने को
पा रहा हूँ।
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हर जगह तुम्हारी ही
छाप है
दिल ओ दिमाग में
तुम्हारा नाम है ।

इस दुनिया में
अजनबी अब
एक झलक को
तरस रहा हूँ।
अपर्णा शर्मा
Nov.8th,24

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