महफूज़

खनकती जिंदगी के,कुछ हिस्से,सहेज कर रख लिए।
यूँ जिंदगी के,कहे,अनकहे किस्से,महफूज कर लिए।
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हम तो,जीते रहे जिंदगी को,जैसे टूंगते हो चबैना
यों कुछ टुकड़े,यादों की गुल्लक में,जमा कर लिए।
अपर्णा शर्मा 

Feb.13th,24

2 thoughts on “महफूज़

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