गुल्लक

जब बैठेंगे,तसल्ली से, उम्र के आखिरी मुकाम पर
बेफिक्र रफ्तार-ए- जीस्त से रखे होंगे हाथ,हाथ पर
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खोलेंगे गुल्लक का ताला लगा कर यादों की चाबी
जी जाएगी जिंदगी फिर से,इस जमापूंजी को देख कर।
अपर्णा शर्मा
Jan.30th,24

*जीस्त: जिंदगी

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