सितारें*

सितारों के आगमन से रात की चूनर सज गई
इस चूनर को ओढ़ते ही अवनी थकान भूल गई।

दिनभर के कोलाहल शांत हो, कोने में सिमट गए
पंछी सभी अपने घोंसलो में जा कर सो गए।

बछड़े घेर में,गैया को याद कर, रम्भा रहे
बालक भी माँ के अंक में छुप कर सुकून पा रहे।

सितारे की इस चमक को चाँद करीब से निहार रहा
और सितारा,रात के राही को,दूर से ही दिशा दिखा रहा।
अपर्णा शर्मा
Sep.1st,23

2 thoughts on “सितारें*

Add yours

Leave a reply to Aparna Sharma Cancel reply

Blog at WordPress.com.

Up ↑