गुरु

सदा से,बालक की प्रथम गुरु, माँ ही कहलाती।
ममता में वशीभूत हो, नेह भरी दुनिया दिखलाती।

पिता जीवन में, सदैव से कटु पाठ पढ़ाते।
बालक को दुनिया की,सत्यता का ज्ञान कराते।
https://ae-pal.com/
एक गुरु ही है जो बालक को शुद्ध पाठ पढ़ाते।
कभी प्रेम से,कभी डपट से दुनिया को दिखाते।

संस्कारों से परिपूर्ण बालक घर का मान बढ़ाता।
व्यवहार सीखा गुरु, बालक को,उन्नति का मार्ग दिखाता।
(गुरु पूर्णिमा पर)
अपर्णा शर्मा
July 3rd, 23

2 thoughts on “गुरु

Add yours

Leave a comment

Blog at WordPress.com.

Up ↑