अधूरे खत


अधूरी जिंदगी जैसे, अधूरे ही रहे खत
दूर होती मंजिल से, मचलते ख़्वाब से खत।

तैरते बादलों में, आसमानी करते आधे से खत
कभी पुष्पों से मकरंद पान करते वे अधूरे खत।
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कुछ लिखित और कुछ कल्पना में विचरते
पढ़ जिन्हें, अनोखी दुनिया की सैर करते।

शुरु ऐसे कि, लगे आज, पूरा खत है लिखा
बाकी अगले पत्र में..,पढ़,लगे रिश्ता शेष है बचा।
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यादों में..,लिख अपूर्ण पत्र ,आस मन में जगाता
रिश्तों की सम्पूर्णता को बहुत करीब से दिखाता।

कभी अंत,पूर्ण विराम से न हो, प्रेम के खतों में
प्रेम ऐसे ही अनवरत रहे अधूरा, अधूरे खतों में।
अपर्णा शर्मा
June 23rd, 23

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