जीवन के खुले मैदान में
सांसो का अजब सा खेला है।
जिसने सांसो को बाँध लिया
उसने ही खेल को जीता है।
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आती जाती इन सांसो में ही
जीवन का मधुर संगीत बसा.
जिसकी सांसे साथ छोड़ चली
उस घर फिर उल्लास कहाँ दिखा?
सांसों की कीमत वो जाने
जिनके अपने बिछुड़ गए।
अपनी सांसे हरपल बोझ लगे
बिछड़े की साँस पर विचार करे।
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जीवन है धागे सा
जो तकली सा नाच नचाए।
सांस के तानेबाने से
जीवन हरपल बुनता जाए।
स्वरचित:
अपर्णा शर्मा
2nd June 23

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🤗
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😊😊
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अच्छा लिखा है सांसों का तना बाना।
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Thank you 😊
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