देहरी के पार

धीरे-धीरे अवधि समाप्ति पर आई है
विदाई की बेला पास और पास आई है।

समेट लिया उसने बक्सा समय का
बना लिया बही खाता हर तारीख का।

भर लिया हँसी खुशी की यादों का खजाना
टंगा है थैला भी, जिस में बोझ है दुखों का।

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जा रहा है,सबके कुछ ना कुछ काम करके पूरे
दे जाएगा, नवागत को, जो रह गए काम अधूरे।

देहरी के दूसरी ओर , कुछ पग की दूरी पर
वो खड़ा है, उत्साहित सा अपने आगमन पर।

आगत की खुशी और विगत के विदाई की विडंबना
विदाई ले 2022,थमा देगा 23 को सभी कार्य योजना.

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