एहसास

मन में गहरे दबे भाव
बंद हवा से एहसास
कभी शब्द न पा सके
घुट गए साँस दर साँस।
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कभी झूठ से छिप गए
पाबंदी में जकड़ते गए
बेपर्दा होने को मचलते
एहसास फिर दिख गए।
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खुल कर कभी बिखरे जो
मंज़िल पा कर ही रहे वो
गर एहसास रोक लिए
घुटन की शक्ल में दिखे वो।
अपर्णा शर्मा
August15th,25

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