धुँआ-धुँआ

मना कर त्योहार रोशनी का
माहौल धुआँ-धुआँ हो गया
करके द्रुत आक्रमण तन पर
मन को बेहद बीमार कर गया।
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कुहासे और धुएँ का मिश्रण
धुन्ध बन कर पसर गया
सूरज की आस में हर कोई
एक किरण को तरस गया।

त्योहारों का मद माहौल जो 
सभी का पोर-पोर भीगा गया
प्रदुषित होता हमारा पर्यावरण
स्वास्थ्य का पाठ भी पढ़ा गया।
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वो गुलाबी सर्दियों की लुभाती दस्तक
बीते दिनों की मायूस दास्ताँ बन गई
स्याह हुए परिवेश में फैला धुँआ 
हर साल का सिलसिला बन गया।
अपर्णा शर्मा

Nov.15th,24

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