निन्यानवे का फेर


जीवन का बड़ा ही,अजब गजब सा खेल है
अक्सर मुझको लगता, ये निन्यानवे का फ़ेर है.
सारा जीवन शत प्रतिशत खुशियों की चाह रहती है
पर कुदरत भी, सौ में एक सुख की,कटौती कर देती है।
https://ae-pal.com/
इसी एक सुख की चाह में, जीवन से उचटा रहता मन
कैसे मिले? कब मिले? इसी सब में खोया रहता मन
और उन निन्यानवे सुख को सिफर करता है मानव
एक के पीछे दौड़-दौड़ कर,आधा कर लेता तन मन।

कभी खुदा जब, जीवन में, सभी सौ सुख दे देता है
मानव उसमें खोया-खोया, सब कुछ भूला सा रहता है
तभी अचानक, एक दुख जो दाखिल हो जाए, जीवन में
वो एक दुख ही, जीवन के सौ सुख पर भारी होता है।
https://ae-pal.com/
इस जीवन में, जैसा है, जितना मिला वरदान में
उसमें ही दुनिया खोजे और सदा जिए वर्तमान में
धन में ही नहीं, इस जीवन में भी, निन्यानवे का फ़ेर है
छीन लेता,जो सारे सुख चैन,सो, जिए सब इत्मीनान में।
अपर्णा शर्मा
August 23rd,24

Leave a comment

Blog at WordPress.com.

Up ↑