पदचिन्ह प्रेम के


घुँघरूओं की रूनझुन से दूर
प्रेम पदचिन्हों की छाप
मन आँगन के द्वार पर ली जैसे
नववधु के प्रथम पग की छाप।
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सहेज कर रखा है उसे
कोरे मन की श्वेत चादर पर
संदूक के कोने में समेट कर
दाग से बचा, सम्भाल कर।

प्रेम का विछोह,दर्शित है
उर्मिला के जीवन की सच्चाई में
प्रेम मात्र पाना नहीं, है खोना
खो जाना अनंत प्रेम की गहराई में
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प्रेम के चरण चिन्हों को
अपने मन मंदिर में सजाकर
और चरण वंदन करता रहूँ
जीवन के हर शुभ अवसर पर।
अपर्णा शर्मा
July18th,24

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