हे नारी ,आश्रितों सा जीवन त्यागो
जागो,उठो,आलम्बन को गले लगाओ ।
पतझड़ से वीराने,शुष्क जीवन में,
अर्थ,लाभ के पुष्पों सा बसंत महकाओ ।
पढ़ लिख कर,घर खूब संवारा तुमने,
अब सुन्दर समाज संवार,सजाओं ।
उठो! हे परिवार की सुघड़ नारी,
सब को स्व-आलम्बन का अर्थ बताओ ।
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परिवार को,संस्कारों की,पोथी पढ़ा
सत्य से भरा,उन्नति पथ दिखाया है ।
जागो!हे परिवार की योग्य नारी,
अब अर्थ का मार्ग भी दिख लाओ ।
सुघड़,संस्कारी,योग्य हर गुण तुम में
अब शर्म में ,न समय तुम गवांओ ।
उठो! हे भारत की सबल, कर्मठ नारी,
अब यह सदी तुम अपने नाम करो ।

उत्तम
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धन्यवाद 🙏
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Bahoot prerak
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Thanks 😊
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