मानसिक आराधना



गर गंगा सा निर्मल जीवन हो जाए,शिव का मनहर स्नान हो जाएगा.
जीवनपथ पर स्वच्छ मार्ग दिखेगा,पग पग में शिव का साथ हो जाएगा.

कंटक सा मन,शिव को कभी ना भाता,राह का कंटक कभी न बनना.
स्वस्थ मन से सबका शुभ चाहा तो शिव को गोखरु स्वयं ही चढ़ जाएगा.

भंग घोट घोट ठंडाई बनी,भंग को शिव की अति प्रिय जान गटक न जाना
ग़र काम को नशे का जैसा पी सकें, स्वयं शिव उन्नति का पर्याय बनाएगा.
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बेलपत्र जब शिव को अर्पित करना, तन,मन,धन (पत्र)को साध कर रखना
स्वयं से परिचय हो गया तो शिव आत्मा के वृंत से सदा-सदा को जुड़ जाएगा.

शिव को बेर सा सादा फल भी है भाता,ज्यादा फीका कभी मीठा स्वाद चखाए.
जो बेरंग से जीवन में सुख दुःख से भेट कराए, शिव जीवन जीना सिखाए.

शिव को मानसिक व्रत से खूब नवांओ, स्नान, दान का चंदन लगाओ.
जीवन शिवमय हो, प्रपंच घेर न पाएगा, शिव घर घर में बस जाएगा.

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