मैंने पूछा वक़्त से, तू इतना भागता है क्यूं ?
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वो बोला, तेरा वक़्त बदल जाए, बस यूँ।
अपर्णा शर्मा
Sept.9th,25
प्रेम के हो जाने से
सुवासित हो गया मन,प्रेम के हो जाने से
मुखरित हो गया मौन प्रेम के हो जाने से।
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प्रेम ही सीखाता सभी,उत्तम आचरण
बन गया वास्तविक मनुष्य,प्रेम के हो जाने से।
अपर्णा शर्मा
Sept.2nd,25
डर
यूँ तो,हर कदम पर, डर का बसेरा है
पर, डर-डर कर जीना भी क्या जीना है।
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सतर्क रहो,सदा ही,बजाय डरने के
इस तरह से ही अपने हर डर से जीतना है।
अपर्णा शर्मा
August 26th,25
