श्रृंगार

काया को, पूर्ण श्रृंगारित करने से
आभूषणों द्वारा,अलंकृत करने से ।
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ओढ़ कर फिर, मुस्कान अधरों पर
कब छिपी है पीड़ा, इन मिथ्याओं से ।
अपर्णा शर्मा
Oct.22nd,24

दस्तक

दिलों से जुड़े,मगर तकदीर से दूर हुए,दोस्तों संग मुलाकात
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जैसे समझदारी संग,फिर से दिलों पर,बचपन की दस्तक।
अपर्णा शर्मा
Oct 16th,24

आकांक्षाएं

आकांक्षाएं सदा से, संसार में ,अनन्तिम ही मिली 
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एक पूर्ण होते ही, दूजी,अविलंब मुस्कुराती मिली।
अपर्णा शर्मा
Oct.8th,24

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