मैं बहता नीर
कहते फकीर
एक दम फक्कड़
जानू न लकीर।
रोंद दिए रास्ते
तोड़े झूठे वास्ते
नए मार्ग पर
चले हँसते हँसाते।
https://ae-pal.com/
लकीर पड़ी रही
ठोकरे खा रही
क्षीर सी जिंदगी
लुत्फ उठा रही।
जो लकीर से बंधे
हाल फकीर से कसे
अक्ल पर पत्थर डाल
वहीं पत्थर घिस रहे।
https://ae-pal.com/
उठो! अपने को पहचानो
अपनी शक्ति को आजमालो
अंतरंगी सी इन लकीरों में
सुनहरी तकदीर सजालो।
अपर्णा शर्मा
Jan.5th,24
गलत
हर गलत को जब जब सही किया
तब तब नया व्यक्तित्व गढ़ता गया.
हर गलती समझदार बनाती रही
यूँ मासूमियत से दूर होता गया.
हर गलत पर इंसान बनता रहा
और अपने से,बहुत दूर होता गया.
कुछ बहुत सही सा था मेरे लिए
वो गलत सा सबको चुभता गया.
जब गलत को गलत कहा जोर देकर तब वजूद सच का खो सा गया.
अपर्णा शर्मा
Dec.29th,23
दिखावा
रिश्तों से भरे इस मेले में
प्रियजनों के मंजुल रेले में
हर एक जान से प्यारा लागे
क्यूँ भूले,सब दिखावे का खेला रे?
https://ae-pal.com/
जीवन की टेढी-मेढ़ी राहों में
दुःख सुख की पगडंडियों में
जिन्हें प्रेम का हमराही माना था
वो सुख का ठिकाना बने रहे।
ऐसा कोई पैमाना भी नहीं
जो प्रेम को तौले सही सही
समय ही मात्र उपाय इसका
और कोई मूल्यांकन नहीं।
https://ae-pal.com/
राग अनुराग जो तन में भर जाए
श्रद्धा से मन भी झुक झुक जाए
वहां दिखावे का कोई स्थान नहीं
प्रेमी केवल ईश्वर सा हो जाए.।
अपर्णा शर्मा
Dec.22nd,23
