परिवर्तन ही सत्य है,
सुनकर मन को भाता है।
https://ae-pal.com/
मौसम का परिवर्तन भी
नित,नई आस जगाता है।
अपर्णा शर्मा
Jan.28th,25
प्रतिबिंब
नदी के शांत से, शीतल जल में
प्रतिबिंब जो उभर कर आया
गहरे छिपे मन के भावों का
चेहरे पर अस्तित्व नजर आया।
https://ae-pal.com/
केशों की उलझी उलझी लटाओं में
मन की उलझन गहराई है
निर्जन से दिखते इन व्याकुल नयनों में
प्रतीक्षा प्रतिपल की समाई है।
किया गर जल आचमन अनजाने में
प्रतिबिंब जल में रिल-मिल जाएगा
कल्पित स्वर्ण संसार रचा जो मन में
क्षण में, क्षणभंगुर हो बिखर जाएगा।
https://ae-pal.com/
मन के एहसासों को गहरा छिपा कर
कई चेहरे लेकर जो फिरता है
अक़्स देख कर आज जल दर्पण में
विस्मित सा प्रतिबिंब दिखता है।
जो सदा छिपाया दुनिया भर से
अपने से न छिप पाया
मन की परछाई उभरने मात्र से
किंकर्तव्यविमूढ़ नज़र आया।
अपर्णा शर्मा
Jan.24th,25
नाता
बुढ़ापे का ,उम्र से,कोई नाता नहीं देखा
https://ae-pal.com/
जिसने जब चाहा बुढ़ापे को ओढ़ लिया।
अपर्णा शर्मा
Jan.21st,25
