किसी को अफ़सोस रहा कि कभी किसी का साथ न मिला।
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कोई सदमें में है कि अंगुली पकड़ने वाला गुमराह कर चला।
अपर्णा शर्मा
April 1st,25
लॉकडॉउन डायरी से
ऑनलाइन क्लास में
मुझको कुछ न भाता है।
सुबह सवेरे अलसाया सा
मुझको फोन उठाता है।
ड्रेस पड़ी अलमारी में
किताबें बस्ते में सोती हैं।
बिन दैनिक क्रिया के ही
मेरी क्लास होती है।
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सारा दिन मैं पढ़ता हूँ
ऐसा माँ समझती है।
सारी पढ़ाई, मैं ही जानू
सर पर से गुज़रती है।
मास्टर जी मेहनत कर
अपना विषय पढ़ाते हैं।
पर ऑनलाइन क्लास में
हम कुछ समझ न पाते हैं।
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अब इन लंबे इतवारों से
मैंने तौबा करनी है।
बस स्कूल खोल दो मेरे
मुझ को पढ़ाई करनी है।
अपर्णा शर्मा
March28th,25
कभी-कभी
कभी-कभी अवचेतन मन में भावों के बादल घिरते है
तभी-तभी शब्दों के कोलाहल में अर्थ खोने लगते हैं।
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व्यस्तताओं का,उच्चतम बिंदु के,उच्च तक बढ़ जाना
और कभी गहन खालीपन,भावों को खाली कर देते हैं।
अपर्णा शर्मा
March25th,25
