आईना आज मुझ से शिकायत करने लगा
तुझमें अब कुछ पहले सा दिखता नहीं
कैसे अब मैं तुझको खूबसूरत दिखाऊँ
कि नक्श में अब पुराना दिखता नहीं।
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वो मासूमियत जो बचपन की सौगात रही
अब आसपास मुझे दिखती ही नहीं
सयानी सी आईने में सजी तेरी ये तस्वीर
जिसमें सुकूं आजकल उभरता ही नहीं।
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मन में सजी तस्वीर को संवारती रहा कर
दृढ़ निश्चयी को दुनिया बदलती नहीं
मुझको साफ़ करने से कुछ न होगा
फराखदिल फितरत को बदलती ही नहीं।
अपर्णा शर्मा
May2nd,25
*फराखदिल-उदार
खामोशी
अलग ही अंदाज में,जीती है खामोशी
चाहे पहली मुलाकात की,हो सरगोशी।
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या आखिरी मुलाकात की,अनगिनत चुप
फैली होती है कुछ बोलती हुई खामोशी।
अपर्णा शर्मा
April29th,25
साथ
मंज़िल की तलाश में
चलते रहे दूर राह में
सोचों से रहे बहुत दूर
चलते रहे बस साथ में।
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हाथ अपने ही हाथ में
डूबे अपने ही विचार में
वो बनकर हमसफर
अनजान से पूरे सफर में।
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दिखे नहीं किसी विवाद में
पड़े नहीं कभी तकरार में
बस साथ है कि साथ है
न इकरार में न इजहार में।
अपर्णा शर्मा
April25th,2025
