शब्द समंदर उथला सा

भावों के वृहत समंदर में
शब्द समंदर उथला सा
विचारों की उठती लहरों में
मनोभाव दिखा सिमटा सा।
https://ae-pal.com/
कुछ सोचे और कुछ लिख रहे
तितर-बितर से अर्थ बहें
भावुकता में डूब डूब कर
कल्पना ढूंढे अब किनारे।
https://ae-pal.com/
शब्दों की इस चित्रकारी में
भाव स्याही से नहीं भरे
उथले उथले इन शब्दों से
वाक्यों के विन्यास खड़े।
अपर्णा शर्मा
May,23rd 25

टूटना

जो लफ्फाजी करते बहुत हैं,वो अक्सर सोचते बहुत हैं।
https://ae-pal.com/
छुपाकर गम को अपने दिल में,हर वक़्त टूटते बहुत हैं।
अपर्णा शर्मा
May 20th,25

जिंदगी का सफर

जीवन का सफर है ये अकेले का सफर
यहाँ सदा के लिए न आता कोई नज़र

जब तलक चाहे किसी को खूब मानिए
जब तलक चाहे किसी के काम आइए
पर किसी को कभी न कीजिए मजबूर।

जीवन का सफर है ये अकेले का सफर
यहाँ सदा के लिए न आता कोई नज़र ।
https://ae-pal.com/
जब कामनाएँ किसी की आप से बढ़ने लगे
परम नाता उन्हीं से, आप मानने लगे
मानिए शुरु होने को है आपका सफर।

जीवन का सफर है ये अकेले का सफर
यहाँ सदा के लिए न आता कोई नज़र।
https://ae-pal.com/
शिकायतें तो ता- उम्र लगी ही रही
कभी महफ़िलों के शोर में दबी रही
कभी वीरानगी में करती रही सफर

जीवन का सफर है ये अकेले का सफर
यहाँ सदा के लिए न आता कोई नज़र।
अपर्णा शर्मा
May16th,25

Blog at WordPress.com.

Up ↑