दिन में बेचैन से और रात में साकार से दिखते हैं जो सपने
नींद में जगाते और जागने पर जिद से अड़ जाते है जो सपने।
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यक से,ऐसा उलट फ़ेर, कर देती है ये अनिश्चितताओं से भरी ज़िन्दगी
मनुष्य को,मात्र का जीवित छोड़ कर,असमय मर जाते हैं ये सपने।
अपर्णा शर्मा
Dec.16th,25
ताऊ जी (शादियों के मौसम में)
शादी में ताऊजी की जब होती है अगुवाई
आते ही, उन्होंने पिताजी की जिम्मेदारी घटाई।
समस्त कार्यो का करते हैं बेहद सूक्ष्म निरीक्षण
बहुत जाँच,परख के बाद ही, होता सफल परीक्षण।
प्रत्येक रीति,रिवाज में रखते हैं वो अपनी दखल
बिना अनुमति,असंभव होती कोई भी नई पहल।
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निश्चित समय पर, प्रत्येक कार्य का लेते हैं जिम्मा
बाराती सोचे,मस्ती के वास्ते हो जाए कोई करिश्मा।
बारात में नाचने की मस्ती को हर संभव रोके
आगे बढ़ो,बार-बार बारातियों को यहीं टोके।
द्वार पर नाचना, अभी मत थको
बैंड से कहते, तुम जरा आगे बढ़ो।
द्वार पर भी कभी ना नाचने देते ताऊजी
भोजन करो, क्या नाचते ही रहोगे बेटाजी।
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इस तरह निश्चित समय पर होते सब काम
ताऊ जी होते संतुष्ट और बाराती बेहद उदास।
गर ताऊजी न हो घरों की शादियों में
बारात नाचती रह जाए, गालियों में।
अपर्णा शर्मा
Dec.12th,25

साँझ का उत्सव
उठो, चलो, थोड़ा खुद के लिए भी जी जाओ
बाहर निकलो, थोड़ा रुबरु दुनिया से हो जाओ।
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जिम्मेदारी निभाते,निभाते, जीवन की साँझ आई
आओ,अब इस साँझ का उत्सव तुम मनाओ ।
अपर्णा शर्मा
Dec.9th,25
