नफ़रतों की कशमकश से,कई गुना अच्छी है मोहब्बत
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जिंदगी के खूबसूरत पहलू से, रुबरु कराती है मोहब्बत।
अपर्णा शर्मा
Aug.5th,2025
बचपन और खेल
बचपन के खेल निराले
कभी पानी में नाव तैरातें
बेमतलब की दौड़ लगा कर
रेत के फिर घर बनाते।
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अपने घर के अभियंता बनकर
वास्तुकार सा सुन्दर घर सजाकर
चेहरे पर खिलती मोहक मुस्कान
अब घर बिल्कुल बनकर हुआ तैयार।
बचपन देखे, जहाँ रेत का टीला
पानी डालकर करता उसको ढीला
न कोई नींव,न उसको कोई ज्ञान
और भरभरा कर गिरती गृहशाला।
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तब बचपन को लगता पहला धक्का
दुनिया क्षणभंगुर,कुछ न पक्का
भाई, बहन और घर का संग भी
सब कच्चा,बस सबमें प्रेम ही सच्चा।
अपर्णा शर्मा
August,1st,2025
नादानी
जिनका हाथ थामे बैठे थे, जिंदगी के अंधेरों में
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वो पंछी बन उड़ चले, जिंदगी के उजालों में.
अपर्णा शर्मा
July 29th,25
