मन में गहरे दबे भाव
बंद हवा से एहसास
कभी शब्द न पा सके
घुट गए साँस दर साँस।
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कभी झूठ से छिप गए
पाबंदी में जकड़ते गए
बेपर्दा होने को मचलते
एहसास फिर दिख गए।
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खुल कर कभी बिखरे जो
मंज़िल पा कर ही रहे वो
गर एहसास रोक लिए
घुटन की शक्ल में दिखे वो।
अपर्णा शर्मा
August15th,25
श्वेत श्याम
श्वेत वर्ण सदा से, रखता जल सा स्वभाव
जिस वर्ण संग, मिला दो, होता उस समान।
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श्याम वर्ण सब जानते, है वो श्याम (कृष्ण) सा
अपने रंग में, रंग कर, देता नई पहचान।
अपर्णा शर्मा
August12th,25
भंवर
जीवन रूपी भंवर से, कोई निकल न पाए
आस लगे उबरने की, त्यों-त्यों फंसता जाए।
नदियों के गहरे भंवरों से,कब का बचना सीख गया
पर जीवन के मोह भंवर में,खुद ही जाकर फिसल गया।
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असीम आकर्षण होता इस भंवर में, आकर्षित कर ही लेता है
पास जाए बिन,मन न माने और ये अपनी बाहों में भर लेता है।
भंवर चक्र में, फंसकर मानव, खूब चक्र सा घूमे
प्रेम-पाश में फंसकर, फिर वो, अपना लक्ष्य भूले।
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सारी शक्ति, तिल-तिल कर,इसी भंवर में सोखी जाती
कैसे कर ? बाहर निकलूँ , कोई चाल समझ न आती।
मोह का भंवर जब शांत हो,ऊर्जा कुछ न बचती
बाहर अगर आ गया,तब तक,जीवन टूटी नैया होती।
अपर्णा शर्मा
August 8th,2025
