वक़्त के बदलते ही अक्स बदल जाते हैं
अक्स के बदलते ही आईने बदलते हैं।
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बदलते वक़्त में विरले ही होते है इस जहाँ में
जो कभी अक्स और आईने नहीं बदलते हैं।
अपर्णा शर्मा
Sept.16th,25
वक़्त के संग
जब वक़्त संग मेरे चलता रहा
मंद चाल सा वो संग चलता रहा
बेफिक्र, बेपरवाह रहा जिंदगी से
उसके आगोश में बेसुध ही रहा।
कभी जो वक़्त, बेवक्त ठहर गया
मानो जीवन बर्फ सा जम ही गया
जिंदगी के वो बेइंतहा भारी पल
तब वक़्त भी उन पलों में सहम गया।
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ये वक़्त कभी सरपट चाल चल गया
मैं जो रुक कर, थोड़ा सुस्ता जो गया
ये फिर से,संग में चला,बड़ी खुशामद से
इस तरह मुझे अपनी कीमत सिखा गया।
हैरान हो! मैंने पूछा,एकदिन वक़्त से
तू यूँ, हरक्षण, भागता है किस से
तू है कौन? बदलता है क्यूं हर पल
बोला,ये जो जिंदगी है,है सिर्फ वक़्त से।
अपर्णा शर्मा
Sept.12th,25
वक़्त
मैंने पूछा वक़्त से, तू इतना भागता है क्यूं ?
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वो बोला, तेरा वक़्त बदल जाए, बस यूँ।
अपर्णा शर्मा
Sept.9th,25
