स्मृतियों का हृदय से धूमिल न हो पाना
प्रतीक्षित का भी दर पर न आ पाना
जीवन में दोनों का खण्डित रह जाना
दहलीज पर प्रतीक्षा होती है
जीवन को आशा से भरती है।
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जीवन की ढलती साँझ तक
उमर के अंतिम पड़ाव तक
प्रतीक्षा के विस्मृति होने तक
दहलीज पर प्रतीक्षा होती है
जीवन को आशा से भरती है।
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वो यादें हैं जीवन संगिनी सी
साँसों की लयबद्ध सरगम सी
साँझ की यह प्रतीक्षा प्यारी सी
उदास दहलीज संवारती है
जीवन को आशा से भरती है।
अपर्णा शर्मा
Jan.31st,25
