प्रथम प्रेम पत्र

बेहद दुष्कर् रहा, लिखना प्रथम प्रेम पत्र
लिखूँ, दीर्घ, भावुक या संक्षिप्त कुशल पत्र।

भावों को बयां करना, कभी न रहा इतना आसान
शब्द व्यंजना में, परिवर्तित हो जाते मन के ज़ज्बात।
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कठिन रहा, पत्र का चुनाव, लिखूँ, आसमानी पत्र
या तुमसा प्यारा,लिखूँ, गुलाब सा गुलाबी पत्र।

मसि का रंग भी चार दिन से अधिक सोचता रहा मैं
काली,नीली स्याही या अपने रक्त से उतार दूँ भाव मैं।
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तुम्हारे नाम को मुस्कान से सजा, मैं चित्रकार सा, रहा मगरूर
अंत में दिल अंकित कर,हार गया दिल, फिर न रहा जरा गरुर।

दिल से लिखे ये एहसास, क्या पहुँचे हैं  कभी तुम तक?
ये भाव, दिल के डाकखाने में महफ़ूज़ है मेरे अभी तक।
अपर्णा शर्मा
Nov.29th,24

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