कभी-कभी अवचेतन मन में भावों के बादल घिरते है
तभी-तभी शब्दों के कोलाहल में अर्थ खोने लगते हैं।
https://ae-pal.com/
व्यस्तताओं का,उच्चतम बिंदु के,उच्च तक बढ़ जाना
और कभी गहन खालीपन,भावों को खाली कर देते हैं।
अपर्णा शर्मा
March25th,25
कभी-कभी अवचेतन मन में भावों के बादल घिरते है
तभी-तभी शब्दों के कोलाहल में अर्थ खोने लगते हैं।
https://ae-pal.com/
व्यस्तताओं का,उच्चतम बिंदु के,उच्च तक बढ़ जाना
और कभी गहन खालीपन,भावों को खाली कर देते हैं।
अपर्णा शर्मा
March25th,25