हार-जीत

गिरते-उठते, चलना सिखा गई जिंदगी
चलते-चलते रास्ते सूझा गई जिंदगी
जिंदगी में रास्ते तराशने की जुगत में
जिंदगी को बेहतर जीना सिखा गई जिंदगी।
https://ae-pal.com/
सदा ही दो किनारों संग चली ये जिंदगी
जैसे कहानी में चलती है बात सच्ची और झूठी.
अंत तक नहीं पता,क्या सीखा रही बेरहम
हरा गई या जीता गई बहुरूपिया सी जिंदगी

अंत में, समझ इतना ही आया बस मुझे
हार और जीत संग-संग दिला गई मुझे
जब मंजिल मिली तो हार गया था सफर
सफर को हरा,मंजिल दिला गई जिंदगी।
https://ae-pal.com/
शिक्षा में जीता तो बचपन हार आया था
श्रेष्ठ जीवन हेतु,गाँव,संगी,सभी गवाया था
इस तरह शतरंज सी जिंदगी की हरेक शै याद आई
हार पर रोया, कभी जीत पर आँख भर आई।
अपर्णा शर्मा
Sept.15th,23

Blog at WordPress.com.

Up ↑