गुमाँ

नादां हवा को ना जाने क्यों गुमाँ हो गया है चिराग बुझाने का।
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उसे इल्म नहीं कि बाती में रोगन आज भी है मोहब्बत का।
अपर्णा शर्मा
Nov.7th,23

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