हर गलत को जब जब सही किया
तब तब नया व्यक्तित्व गढ़ता गया.
हर गलती समझदार बनाती रही
यूँ मासूमियत से दूर होता गया.
हर गलत पर इंसान बनता रहा
और अपने से,बहुत दूर होता गया.
कुछ बहुत सही सा था मेरे लिए
वो गलत सा सबको चुभता गया.
जब गलत को गलत कहा जोर देकर तब वजूद सच का खो सा गया.
अपर्णा शर्मा
Dec.29th,23
