फलसफा

जब वालदैन द्वारा,अपने ही बच्चों को अपना वालदैन बनाना
जैसे, जहां से शुरु किया सफर,  फिर वहीं आकर ठहर जाना।
https://ae-pal.com/
जी कर पूरी जिंदगी का चक्कर, और एक फलसफा कह जाना
फिर एक सुबह खुद अफ़साना बन, दुनिया को अलविदा कर जाना।
अपर्णा शर्मा
May, 27th,25

टूटना

जो लफ्फाजी करते बहुत हैं,वो अक्सर सोचते बहुत हैं।
https://ae-pal.com/
छुपाकर गम को अपने दिल में,हर वक़्त टूटते बहुत हैं।
अपर्णा शर्मा
May 20th,25

शुभचिंतक

अब उनसे बात नहीं होती जो हर हाल हौसला बढ़ाते रहे।
https://ae-pal.com/
दुःखों की घोर बारिशों में जो सुखों का आसमाँ दिखाते रहे।
अपर्णा शर्मा
May13th,25

Blog at WordPress.com.

Up ↑