कछुए की चाल सी जिंदगी में, झंझावात हज़ारों है।
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सपने भरे गुब्बारे हैं, जिनमें, रूकावटें लाखों है।
अपर्णा शर्मा
June17th,25
इंतजाम
मजे में वक़्त बीता कर, जो वक़्त की, कजा नहीं करता है।
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जान लो, वक़्त है उसी का, जो अड़े वक़्त का, इंतजाम रखता है।
अपर्णा शर्मा
June 10th,25
*(कजा-गुजारना )
ब्याह की मेहंदी
इन सुर्ख हाथों में छिपे होते,अनंत एहसास
पिता की उदासी और पिया का अनुराग।
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दो घरों में बंटती हुई,बेटियों की शख्सियत
और घिरे होते अनिश्चितताओं के ढेरों बादल।
अपर्णा शर्मा
June3rd,25
