पैत्रिक घरों और जमीनों से नाता तोड़ते ही
इकाई घरों में अपना आशियाना बनाते ही
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संवेदनाएं प्रायः सुप्त हो गई है इंसानों में
सुख में सुखी और दुख में दुखी कोई दिखता नहीं.
अपर्णा शर्मा
Sept.30th,25
मुखबरी
इंसानो पर हमने खूब नज़र रखी,सम्भल सम्भल कर हर बात रखी।
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मुखबरी करी तो करी इन नजरों ने,जो हमेशा सिर पर सजा कर रखी।
अपर्णा शर्मा
Sept. 23rd,25
विरले (दुर्लभ)
वक़्त के बदलते ही अक्स बदल जाते हैं
अक्स के बदलते ही आईने बदलते हैं।
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बदलते वक़्त में विरले ही होते है इस जहाँ में
जो कभी अक्स और आईने नहीं बदलते हैं।
अपर्णा शर्मा
Sept.16th,25
