इस बरस भी शहर में कुछ मकान बेरंग रह गए
द्वार, आँगन और दीवारें फिर से खुश्क रह गए।
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अपनों के इंतजार में ही बरस पल- पल गुजर रहे
उदास घरों में इस बार भी उदास रंग बिखर गए।
अपर्णा शर्मा
March18th,25
त्योहार
त्योहार इसलिए भी जरूरी,कि जिंदगी में उल्लास आ जाए।
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झंझावातों में उलझे, मनुष्य को, कुछ आराम आ जाए।
अपर्णा शर्मा
March, 11th,25
प्रेम: मात्र शब्द
यूँ तो, चारों ओर, प्रेम जैसे शब्दों का खूब बोलबाला है।
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असल में, प्रेम अब तोल-मोल या लाभ-हानि का मामला है ।
अपर्णा शर्मा
March 4th,25
