अग्नि से जलते फूल नहीं,झाड़फानुस लगते हो।
https://ae-pal.com/
शीतल समीर संग तुम, चेहरों पर मुस्कान देते हो।
अपर्णा शर्मा
May 6th,25
खामोशी
अलग ही अंदाज में,जीती है खामोशी
चाहे पहली मुलाकात की,हो सरगोशी।
https://ae-pal.com/
या आखिरी मुलाकात की,अनगिनत चुप
फैली होती है कुछ बोलती हुई खामोशी।
अपर्णा शर्मा
April29th,25
पृथ्वी दिवस
स्वार्थ हेतु हज़ारों -हजार पेड़ों पर,हिंसा करता रहा जो मनुष्य
https://ae-pal.com/
पृथ्वी दिवस पर कह रहा, लगाओ पेड़ ताकि उज्ज्वल हो भविष्य।
अपर्णा शर्मा
April22nd,25
