आत्मिक प्रेम

शिकवे,शिकायत हो,जब धूमिल
अधरों पर,स्मिता हो जब,सात्विक।
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मौन की हो, जब,अनवरत वार्ता
यहीं रुप है प्रेम का, तब आत्मिक।
अपर्णा शर्मा
Dec.3rd,24

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