ये ढुलकते आँसू ,बेकार न हो आँसू
मन की पीड़ा को,हल्का करे ये आँसू।
खुशियों में चार चाँद लगा,इतराते आँसू
दिल के एहसास बया कर ,बतियाते आँसू।
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पानी नहीं, ये अनमोल मोती है सच्चे
अर्थ ग़र समझे, हरपल के साथी है अच्छे।
व्यर्थ न बहाना, कुछ बचालो आँसू
कौन समझेगा यहाँ, रोक लो आँसू।
अपर्णा शर्मा
Oct. 31st,25
आँसू
आँसू भी रखते हैं,अपने और पराए की, बारीकी से परख।
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कहाँ रुकना है और कहाँ बह जाना है, तोड़ कर हर बाँध।
अपर्णा शर्मा
Oct.28th,25
खूबसूरत
जिंदगी बड़ी खूबसूरत हैं
ये बच्चे जैसे खरगोश से
लड़कियां गिलहरियों सी
फूल भंवरे, ये जंगल
नदियों की कल-कल
अचानक से ये सब कैसे?
हवाएँ थिरक गई
खुशबू महक गई
दिल के प्रांगण में
फूटा है एक अंकुर
नाम है प्रेम।
इसे हो जाने दो।
अपर्णा शर्मा
Oct. 24th,25

