आईना*

आईना आज मुझ से शिकायत करने लगा
तुझमें अब कुछ पहले सा दिखता नहीं
कैसे अब मैं तुझको खूबसूरत दिखाऊँ
कि नक्श में अब पुराना दिखता नहीं
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वो मासूमियत जो बचपन की सौगात रही
अब आसपास मुझे दिखती ही नहीं
सयानी सी आईने में सजी तेरी ये तस्वीर
जिसमें सुकूं आजकल उभरता ही नहीं।
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मन में सजी तस्वीर को संवारती रहा कर
दृढ़ निश्चयी को दुनिया बदलती नहीं
मुझको साफ़ करने से कुछ न होगा
फराखदिल फितरत को बदलती ही नहीं।
अपर्णा शर्मा
May2nd,25

*फराखदिल-उदार

आईना

एक आईना ऐसा भी रख अपने पास में
जिसमें जैसा है अपना वज़ूद ,वैसा दिखना चाहिए
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कोने तो रोज ही दरकते रहते हैं आईने  के
बस रिश्ता,आईने में, पहला से दिखना  चाहिए.
अपर्णा शर्मा
April23rd,24

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