सोच

बेटे -बेटियाँ दोनों खुद के आशियाँ बसा लेते हैं
अपने -पराए से परे अपने आसमाँ खुद तलाशते हैं।

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दोनों के ही अपने बेहतरीन वज़ूद सदा से रहे हैं
अधिक और कमतर बस सोच के ही मामले हैं।

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