साथ

मंज़िल की तलाश में
चलते रहे दूर राह में
सोचों से रहे बहुत दूर
चलते रहे बस साथ में।
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हाथ अपने ही हाथ में
डूबे अपने ही विचार में
वो बनकर हमसफर
अनजान से पूरे सफर में।
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दिखे नहीं किसी विवाद में
पड़े नहीं कभी तकरार में
बस साथ है कि साथ है
न इकरार में न इजहार में।
अपर्णा शर्मा
April25th,2025

साथ

किसी को अफ़सोस रहा कि कभी किसी का साथ न मिला।
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कोई सदमें में है कि अंगुली पकड़ने वाला गुमराह कर चला।
अपर्णा शर्मा
April 1st,25

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