आह कैसी मनभावन ऋतु है आई
सावन के बरसने की ऋतु हैआई।
लगती कभी गर्म, कभी सुहानी
ऐसी हवा चली, मद-सी मतवाली।
पुरवा के संग में खूब इठलाती
कभी बिन हवा, स्वेद बढ़ाती।
आह कैसी मनभावन ऋतु है आई
सावन के बरसने की ऋतु हैआई।
https://ae-pal.com/
दमकती है धूप, कभी होती छांव
समझ न आते, कभी इसके दांव।
फूलाती सबके, हरदम हाथ पांव
लुका छुपी में बीतते ऐसे दिन रात।
आह कैसी मनभावन ऋतु है आई
सावन के बरसने की ऋतु हैआई।
घेवर, गुझियों से सजे बाजार
चूड़ी,मेहंदी से हरा भरा श्रृंगार।
झूला झूले और गाए गीत मल्हार
बेटी सखियों का मिलन त्योहार।
आह कैसी मनभावन ऋतु है आई
सावन के बरसने की ऋतु हैआई।
https://ae-pal.com/
शिव की स्तुति, गौरा का ताप
प्रेम,आस्था का अटूट विश्वास।
विरह कहे या कहे मधु_मास
बम बम भोले गूंजे हर श्वास।
आह कैसी मनभावन ऋतु है आई
सावन के बरसने की ऋतु हैआई।
अपर्णा शर्मा
July 25th,25
